Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

10.11.09

लो क सं घ र्ष !: हिन्दी के मुंह पर हिंदुत्व का तमाचा

महाराष्ट्र विधानसभा में सपथ ग्रहण के समय अबू आजमी ने हिन्दी में सपथ ली तो मनसे विधायक ने थप्पड़ माराभारतीय जनता पार्टी और उसके पिता तुल्य आर.एस.एस ने जो जहर बोया है उसका परिणाम भी रहा हैमध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी धमकी दी कि मध्य प्रदेश में दूसरे प्रदेशों के लोग कार्य नही कर सकते हैंमहाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी शिवसेना के साथ चुनाव लड़ती है और शिव सेना और उसके घटक मनसे हिन्दी का विरोध करती हैभारतीय जनता पार्टी , आर.एस.एस और उसके अनुसांगिक संगठन गला फाड़-फाड़ कर पूरे देश में नफरत का जहर फैलतें हैं और कहते हैं हिन्दी-हिंदू और हिन्दुस्तानभारतीय जनता पार्टी चुप है आर.एस.एस चुप है अगर यही हरकत किसी और ने की होती तो तुंरत यह लोग राष्ट्रद्रोह का प्रमाणपत्र जारी करने लगतेराष्ट्रभक्त-राष्ट्रद्रोह का प्रमाणपत्र जारी करने का ठेका भाजपा आर.एस.एस के पास है जबकि इनका इतिहास रहा है कि वह स्वयं में कभी भी राष्ट्र भक्ति का कोई कार्य नही किया है कभी यह ब्रिटिश साम्राज्यवाद जर्मन के हिटलर से प्रेरणा लेकर कार्य करते थे और आज अमेरिकन साम्राज्यवाद से प्रेरणा लेकर कार्य करते हैंइस तरह की हरकतों से देश की एकता और अखंडता कमजोर होती है भारत सरकार महारष्ट्र सरकार ऐसे तत्वों के ख़िलाफ़ समुचित कार्यवाही नही कर रही है जिससे इनके हौसले बढे हुए हैं यदि एक बार सरकार ईमानदारी से ऐसे तत्वों के ख़िलाफ़ कार्यवाही कर दे तो बाल ठाकरे, राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे जैसे लोग पैदा ही नही होंगे क्योंकि ऐसे तत्वों का यह इतिहास रहा है की जब भी सिकंजे में फंसें है तो माफ़ी मांग कर जेल से बाहर आए हैं जिसका पहला उदाहरण सावरकर हैं यदि ऐसे तत्वों की सरकारी सुरक्षा व्यवस्था हटा ली जाए तो यह लोग कोई भी चीज बोल ही नही सकते हैंयह सब सारी हरकतें सरकारी सुरक्षा में रहकर होती हैं राज ठाकरे, बाल ठाकरे, उद्धव ठाकरे से लेकर किसी में कोई दम नही हैजब सरकारी संरक्षण प्राप्त होता है तो यह लोग देश तोड़ने की हरकतें करते हैंयह तमाचा मनसे का नही है तमाचा हिंदुत्व की विचारधारा का है

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

1 comment:

Murari Gupta said...

पहले पढ़िये...फिर कहिए
सुमनजी
हिंदी के मुंह पर हिंदुत्व का तमाचा आपने क्या सोचकर लिखा है, समझ से परे है। आपने आपने कई बेमेल बातों को एक-दूसरे के साथ जोड़कर पेश किया-जैसे शिवसेना, भाजपा और मनसे का गठजोड़। आपको पता होना चाहिए, मनसे की गतिविधियां और उसका गठन महाराष्ट में कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। इसमें मुझे नहीं लगता कि भाजपा और शिवसेना को शामिल किया जाना चाहिए। इसलिए आपका यह गठबंधन वाली बात पूरी तरह खारिज हो जाती है। आपने कहा कि आरएसएस देश में नफरत का जहर फैला रहा है....मान लिया कि फैला रहा है, कृपया आप बताएंगे कैसे फैला रहा है...क्या राष्ट निरमाण की बात करना जहर फैलाना है। क्या जीवन को अनुशासित बनाने की बात करना जहर फैलाना है? क्या अपनी देश हित की बात करना जहर फैलाना है? मुझे समझ नहीं आ रहा कि आप किस पूवाॆग्रह से प्रेरित हैं। किसी भी संगठन के बारे में कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले कृपया करके उसे जानने की कोशिश तो कीजिए। हो सकता आपको बाहरी तौर पर उसमें कुछ कमियां नजर आएं। मगर आप किसी स्वयंसेवक से दोस्ती करके तो देखिए। आप बुद्दीजीवी हैं। आपकी बात कई लोगों तक जाती हैं। मुझे लगता है आपको सावरकर को पूरी तरह पढ़ने की बहुत जरूरत है। आपने फिर वही गलती की....बिना पढ़े टिप्पणी करने की। अगर आप सावरकर को और उनके जीवन को एक बार पढ़ लेंगे....तो फिर इस तरह की फिजूल की टिप्पणी करने के लिए फिर कभी आपकी कलम नहीं उठेगी....मेरा दावा है। इन इतिहास पुरुषों के बारे में कृपा करके अपनी जानकारी बढ़ाइए.....। सुमन जी मुझे बताइए...इस घटना का हिंदुत्व से क्या लेना..देना। आप समझदार हैं...आपको भी पता है कि मनसे महाराष्ट में अपनी जमीन तैयार कर रहा है..इसलिए उसे ऐसे मुद्दे चाहिए जो उन्हें जिंदा रख सके। फिर इसमें आप वेबजह इस घटना को हिंदुत्व से कैसे जोड़ रहे हैं...समझ से परे है। माफ कीजिएगा आपकी लेखनी कथित सेकुलरिज्म से प्रभावित नजर आती है।
मुरली आनंद