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11.11.09

तुम गर जरा मुझे प्यार दो


गीत
-राजेश त्रिपाठी
मेरे गीतों को दे दो मधुर रागिनी, मेरे सपनों को होने साकार दो।
सारी दुनिया की खुशियां मिल जायेंगी, तुम गर जरा मुझे प्यार दो।।
कामनाएं तड़पती, सिसकती रहीं।
जिंदगी इस कदर दांव चलती रही।।
हम वफाओं का दामन थामे रहे।
हर कदम जिंदगी हमको छलती रही।।
एक उजडा चमन है ये जीवन मेरा, फिर संवरने का इसको आधार दो। (सारी दुनिया...)
प्रार्थनाएं सभी अनसुनी रह गयीं।
याचनाएं न जाने कहां खो गयीं।।
हर तमन्ना हमारी अधूरी रही।
गम का पर्याय ये जिंदगी हो गयी।।
जिंदगी जिसके खातिर तरसती रही, सुख का वही मुझको आधार दो। (सारी दुनिया...)
खुलें जब तुम्हारे नयन मदभरे।
जैसे सूरज को फिर से रवानी मिले।।
मुसकराओ तो ऐसा एहसास हो।
फूलों को इक नयी जिंदगानी मिले।।
एक मूरत जो है कल्पना में बसी, उसे रंग दो, आकार दो। (सारी दुनिया...)
कल्पनाओं को मेरी नयी जान दो।
गीतों को इक नया उनमान दो।।
दो मुझे जिंदगी के नये मायने।
मेरे होने की इक पहचान दो।।
जिसकी यादों में जागा किये ये नयन, उसी रूप का उनको दीदार दो। (सारी दुनिया...)

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