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20.11.09

अस्थाई मीडियासेंटर के निर्माण का काम प्रभातम नामक कंपनी को २.९० लाख रूपये में दे दिया

देहरादून । कुंभ मेले में बनाये जाने वाले अस्थाई मीडिया सेंटर को लेकर बडा खेल आखिरकार विभाग के अधिकारी ने अंजाम दे ही दिया। इस बात की भनक प्रदेश के मुख्यमंत्राी डा. रमेश पोखरियाल निशंक को भी नहीं लग सकी। जिससे पूरी व्यवस्था पर ही सवालिया निशान लग गए हैं कि आखिर किस तरह अधिकारी ने टेंडर में दी जाने वाली कई महत्वपूर्ण जानकारियां कम्पनी के अध्किारियों को गुप्त रूप से दी। कुंभ मेले को लेकर प्रदेश सरकार किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहत लेकिन इसके बाद भी अधिकारी की मिली भगत से हरिद्वार में अस्थाई मीडियासेंटर के निर्माण का काम प्रभातम नामक कंपनी को २.९० लाख रूपये में दे दिया गया है। जबकि इससे कम रेट पर काम करने वाली कंपनी को बाहर का रास्ता पहले ही दिखाया जा चुका है। दिल्ली की कंपनी आईटीडीसी व मुंबई की एकअन्य कंपनी को पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका था। हरिद्वार में बनाए जाने वाले अस्थाई मीडियाा सेंटर को लेकर सचिवालय में कुल नौ कंपनियों ने अपना प्रस्तुतिकरण कुछ समय पूर्व दिया था और बाद में टेंडर निर्माण केा लेकर कंपनियों से टेंडर मांगे गये थे। मीडिया सेंटर के निर्माण के लिए कुल ६ कंपनियों ने टेंडर डाले दिल्ली की आईटीडीसी, ऊर्ध्वा, सहारा संचार, प्रभातम, पल्स प्रोडक्शन के साथ कुल मुंबई की मिलाकर ६ कंपनियों ने टेंडर डाले। लेकिन तीन कंपनियों को टेक्निकल बिड में अधिकारियों की मिलीभगत से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जबकि उसमें से एक कंपनी काफी कम कीमत पर काम करने को राजी भी हो गयी थी लेकिन उसके बाद भी उसे फाइनल नहीं किया गया। प्रातः जैसे ही सचिवालय में हरिद्वार कुंभ मेले के अस्थाई निर्माण को लेकर शेष बची तीन कंपनियों सहारा संचार, ऊर्ध्वा व प्रभातम के टेंडर खोले गये तो उनमें सबसे अधिक टेंडर रेट १० करोड सहार संचार, ३ करोड ऊर्ध्वा एवं २ करोड ९० लाख प्रभातम के निकले सबसे कम रेट निकाले जाने पर प्रभातम को अस्थाई मीडिया सेंटर बनाये जाने का काम दिये जाने पर सहमति प्रदान कर दी गई है। जबकि प्रभातम को न तो मीडिया सटर का कोई अनुभव है और न ही उसने इससे पूर्व कुंभ मेले के आयोजन में इस तरह का काम किया है। वहीं यह भी जानकारी में आ रहा है कि इस पूरे मामले में किसी राजनैतिक दबाव के चलते यह टेंडर दिया गया है। जबकि कई कंपनियों के लोगों का साफ कहना है कि इस खेल में करोडों रूपये का मोटा खेल खेला गया है। जिस कारण टेंडर में दी जाने वाली धनराशि को बडी ही चालाकी से पहले ही लीक आउट कर दिया गया और इस मामले में एक अधिकारी की विशेष भूमिका सन्देह के घेरे में आ गई है। इस मामले का लेकर अब अन्य कंपनियों के लोग देर शाम प्रदेश के मुख्यमंत्राी का दरवाजा खटखटाकर पूरे मामले से अब उन्हें अवगत कराने का मन बना चुके हैं। वहीं यह भी आशंकाएं व्याप्त हो रही हैं कि कुंभ के नाम पर जिस तरह से करोडो रूपये की बंदरबांट प्रभातम नामक कंपनी को की गई है इससे अच्छा सूचना विभाग को ही अस्थाई मीडिया सेंटर का काम दिया जाता तो इसे लाखों रूपये में ही निपटाया जा सकता था। लेकिन इसके बाद भी जिस तरह करोडों रूपये की बंदरबाट कर इसे बाहरी कंपनी केा दिया गया है उससे एक बार फिर पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान लग खडे हुए हैं।

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